वास्ता
समय के भूल- भुल्लईया से होते हुए,
बहुत कुछ पीछे छूट जाता है ।
कुछ तो ऐसी हैं उनमें ,
जिनसे मैं वास्ता रखना चाहती हूँ ।
जीवन के इस भाग-दौड़ मैं ,
कई आदतों से मुँह मोड़ना पड़ा ।
आज उनमें से अच्छी आदतों को वापस अपनाकर,
उनसे मिली सुकून से वास्ता रखना चाहती हूँ ।
पहले वक्त इतना कठोर न था ,
छोटी-छोटी खुशियों में दुनिया सिमट जाती थी ।
आज आँसुओं के ताले तोड़ने के लिए,
दोबारा उन हंसी - ठहाकों के पीछे छुपे वजह- बेवजह की चाबियों से वास्ता रखना चाहती हूँ ।
आगे बढ़ने की कोशिशों में,
ठोकर मैंने भी खायीँ हैं ।
ज़िद कि चलते रहना है सदा,
पुराने गलतियों से मिली सीख से वास्ता रखना चाहती हूँ ।
हर तरफ शोर बढ़ता जा रहा है,
शायद कहीं मेरी आवाज़ भी न किसी को सुनाई दे रही होगी।
फिर भी अपने सवालों के साथ , विवेक की छाया तले ,
अपने अस्तित्व की गरिमा से वास्ता रखना चाहती हूँ ।
हाँ , पुनर्जीवित होने के लिए
मेरे नए पहचान के साथ ,
स्वयं के पुराने कुछ किस्सों और हिस्सों से ,
मैं वास्ता रखना चाहती हूँ ।
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